अध्यापक दिवस | शिक्षक दिवस पर निबंध | TEACHER’S DAY ESSAY IN HINDI
अध्यापक राष्ट्र निर्माता है। राष्ट्र के निर्माण में गुरु और शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। अत: वह सदैव पूजनीय है। भारत में इसे ज्ञानस्वरूप और पूज्य माना जाता है। डॉ० सर्वपल्लि राधाकृष्णन एक महान शिक्षक और गुरु थे। वे जीवन भर एक जानेमाने और प्रसिद्ध अध्यापक रहे। उन्होंने पहले सन् 1953 से 1962 तक भारत के उपराष्ट्रपति पद को सुशोभित किया और फिर 1962 से 1967 तक राष्ट्रपति पद को।
उनका जन्मदिन सारे भारत में अध्यापक या शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन 5 सितम्बर का होता है। चुने हुए आदर्श अध्यापकों को इस दिन पुरस्कार दिये जाते हैं।
सारे देश में यह दिवस उमंग, उत्साह और बड़ी तैयारियों से मनाया जाता है। राज्य की राजधानियों में शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है। उनकी सेवाओं का स्मरण किया जाता है। शिक्षकों के सम्मान में सार्वजनिक कार्यक्रम किये जाते हैं। विद्यालयों आदि में छात्रछात्राएँ इस दिन अपने शिक्षकों के सम्मान में विशेष समारोह करते हैं। उन्हें उपहार भेंट कर अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं।
यह उचित भी है कि भारत जैसे देश में जहाँ गुरुशिष्य की एक अटूट परम्परा रही है, यह दिवस इस प्रकार मनाया जाता है। हमारे यहाँ तो शिक्षक और गुरु को भगवान से भी बड़ा माना गया है
गुरु गोविंद दोनों खड़े, काके लागूं पाँय।
बलिहारी गुरु आपने, जिन गोविदं दिया मिलाय।। और भी कहा है
यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान। शीस दिये ते गुरु मिले, तो भी सस्ता जान।।
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