विविधता में एकता हिंदी निबंध | Unity in Diversity Essay in Hindi

विविधता में एकता हिंदी निबंध | Unity in Diversity Essay in Hindi

भारत एक विशाल देश है । यह उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में कन्याकुमारी तक तथा पश्चिम में गुजरात से लेकर पुरब में नागालैण्ड तक फैला हुआ हुआ है । भारत में २८ राज्य और ७ केन्द्र शासित क्षेत्र हैं। सभी प्रदेशों के लोगों में विविधता पाई जाती है ।

भारत की प्राकृतिक संरचना में विविधता के सुन्दर रूप के दर्शन होते हैं। उत्तर में ऊँचे, हिम से ढंके पर्वत हैं तो दक्षिण में समुद्र की लहरें । पश्चिम में तपता रेगिस्तान है तो पुरब घने जंगलों से घिरा है ।

प्राकृतिक संरचना के ही अनुरुप भारत के लोगों के रंग-रूप में भी विविधता है। उत्तर के लोग लम्बे और गोरे होते हैं । दक्षिणवासी मंझोले कद के, काले होते हैं । उनकी नाक फैली हुई होती है तथा बाल घुघराले होते हैं । पश्चिम के लोग औसत कद के और साँवले होते हैं । पुरबवासी नाटे कद एवं गोरे रंग के होते हैं। उनकी आँखें मंगोल की तरह होती है । रंग-रूप की भिन्नता के अलावा भारत में प्रत्येक प्रदेश का रहन-सहन, खान-पान, वेश-भूषा भी भिन्न है । यहाँ १८ राष्ट्रीय भाषाएँ हैं तथा सैंकड़ों प्रादेशिक बोलियाँ हैं । इस तरह पूरे भारत में प्राकृतिक संरचना तथा लोगों के बीच विभिन्नता पाई जाती है ।

परन्तु इन विविधताओं के बावजूद पूरे भारत वर्ष में अद्भुत रूप से एकता की भावना मौजूद है । भारतवासियों के रहन-सहन, खान-पान, बोली आदि में भिन्नता हो सकती हैं परन्तु उनके सोच और विचार एक ही हैं । कश्मीर का व्यक्ति अपने देश के लिए जो सोचता है वहीं सोच दक्षिण में बैठे व्यक्ति की होती है । यहाँ विविधता में एकता है ।

भारत का दर्शन हमें ‘सर्वधर्म समभाव’ की शिक्षा देता है । यही कारण है कि विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग यहाँ मिलजुल कर रहते हैं । कोई इस्लाम को मानता है, कोई हिन्दु है, कोई सिख है तो किसी ने इसाई धर्म को स्वीकार किया है । परन्तु मूल रूप से सभी भारतीय हैं उनकी पहचान भारतीय है।

अंग्रेजों ने अपने लाभ के लिए भारतवासियों के बीच धर्म तथा जाति के आधार पर फूट डाले । उसका परिणाम यह हुआ कि आज भारत में धर्म तथा जाति के नाम पर दंगे होते हैं।

भारत की विविधता ऊपरी आवरण मात्र है । अन्दर देशप्रेम की एक धारा बहती है जो पूरे देश को एकजुट करके रखती है । एकता का सबसे उत्तम रुप तब नजर आता है जब देश पर संकट आता है। संकट के समय पूरा भारतवर्ष आपसी द्वैष भूल कर एक हो जाता है । कवि ने ठीक ही कहा है – यहाँ करोड़ों हृदय में पलता भाईचारा, यहाँ हमेशा ऐक्यभाव का बजता है ।

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