मनोरंजन के साधन पर निबंध

मनोरंजन के साधन पर निबंध – Essay on Modern Means of Entertainment in Hindi

वर्तमान युग में मनुष्य का जीवन बड़ा ही संघर्षमय होता जा रहा है। उसके जीवन में एक-न-एक जटिल समस्या आती रहती है। वह उनको सुलझाने में ही हमेशा व्यस्त रहता है। बेचारा दिन-रात मशीन की तरह निरंतर विभिन्न क्रिया-कलापों में व्यस्त रहता है। उसके जीवन में कुछ ही क्षण ऐसे आते हैं, जब वह नाममात्र का संतोष अनुभव कर पाता है। वे होते हैं – मनोरंजन के क्षण।

मनुष्य स्वभावत: आमोद-प्रमोदप्रिय होता है। आदिकाल में भी मनुष्यों के बीच आमोद-प्रमोद की आयोजनाएँ हुआ करती थीं। कारण यह है कि मनोरंजन से हमारा चित्त कुछ क्षणों के लिए उत्फुल्ल हो जाता है। बिना मनोरंजन के जीवन भार-सा मालूम होता है। खेल-कूद और दर्शनीय स्थलों पर हमें एक अनोखी स्फूर्ति मिलती है। इसीलिए मनोरंजन मनुष्य के लिए अनिवार्य है।

प्राचीनकाल में जबकि मनुष्य का समाज इतना विकसित नहीं था, उस समय भी वह मनोरंजन करता था। जंगली जातियाँ भी नाना प्रकार के नृत्यों और गीतों से अपना आनंद मनाती हैं। अंतर इतना है कि प्राचीन युग में ये साधन कम मात्रा में थे। सभ्यता का विकास जितनी तीव्र गति से हुआ, उसी के साथ हमारे मनोरंजन के साधनों का विकास भी हुआ। आज हमारे पास मनोरंजन की इतनी विपुल सामग्री है कि उसका उपयोग करना भार होता जा रहा है।

यह विकास का युग है। मानव प्रगति की चरम सीमा पर पहुँच रहा है। समाज में मनोरंजन के साधनों का बाहुल्य है। संगीत, अभिनय, नृत्य, चित्रकला आदि से मानव-मन को शांति मिलती है। हम आनंद का अनुभव करते हैं। कानों को प्रिय लगनेवाला गीत कौन नहीं चाहता! नाटकों को देखने कौन नहीं जाता! गरमी में आग बरसाती हुई हवाओं के बीच बैठक में बैठकर हम ताश या शतरंज का आनंद लेते हैं। जाड़े की ऋतु में टेनिस, बैडमिंटन, फुटबॉल, हॉकी और क्रिकेट हमारे तन-मन में स्फूर्ति का संचार करते हैं।

अनेक प्रकार के मेलों का आयोजन होता है। मेलों में आनंद-प्राप्ति के साथ-साथ हमारा व्यावहारिक ज्ञान भी बढ़ता है। देशाटन करने पर भी चित्त को शांति और भिन्न-भिन्न स्थानों के रीति-रिवाज एवं आचार-विचारों का ज्ञान होता है। बुद्धिजीवी वर्ग साहित्य का अध्ययन-मनन कर असीम आनंद उठाता है। विज्ञान के युग में सबसे प्रिय मनोरंजन के साधन हैं—सिनेमा, रेडियो, टेलीविजन, वीडियो आदि। दिन भर की थकावट दूर करने के लिए श्रमिक वर्ग शाम को फिल्म देखकर या रेडियो सुनकर आनंद उठाता है। रेडियो तो मनोरंजन का जादुई बक्सा है। यह मनोरंजन के साथ-साथ घर बैठे ही देश-विदेश के समाचार सुनाता है।

मनोरंजन मनुष्य के लिए बहुत आवश्यक है। मनोरंजन के बिना जीवन अधूरा है। जैसे भोजन शरीर को स्वस्थ बनाता है वैसे ही मनोरंजन मस्तिष्क की थकान दूर कर शांति देता है। अत: जीवन में मनोरंजन नियमित रूप से होना चाहिए। लेकिन अधिक मात्रा में मनोरंजन हानिकारक है। मनोरंजन केवल जीवन में उल्लास लाने के लिए है। इसी उद्देश्य से इसका उपयोग करना उचित है।

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