संध्याकाल हिंदी निबंध | Sandhyakal Essay in Hindi
संध्याकाल बड़ा मनोरम होता है । सूर्य अस्त हो रहा होता है । उसकी किरणों का तेज मंद पड़ जाता है । लाल किरणों से आकाश भी लाल हो जाता है । ठंडी हवा बहने लगती है।
लोग अपने-अपने काम-धंधों से लौट कर घर आने लगते हैं। पक्षी अपने घोंसले की तरफ उड़ने लगते हैं । पक्षियों के झुण्ड से आकाश भर जाता है । वृक्षों पर उनकी चहचहाट होने लगती है ।
बच्चे दिन भर की पढ़ाई से छुटकारा पाकर खेलने लगते हैं । उनकी हँसी और शोर से वातावरण गुंजित होता रहता है ।
दिन भर के काम-काज से थके लोगों के लिए संध्याकाल फुर्सत का क्षण होता है। किसी घर से संगीत का स्वर आता है। किसी घर से ठहाकों की आवाज़ आती है । लोग अपने-अपने शौक के कामों में लग जाते हैं । कोई बागवानी करता है, कोई संगीत सुनता है । कोई मित्रों के साथ गप्पे लड़ाता है तो कोई अपना मनपसंद खेल खेलता है ।
संध्याकाल में हँसी-खुशी का वातावरण रहता है ।
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