विद्यार्थियों में बढ़ता असंतोष हिंदी निबंध | Increasing Dissatisfaction Among Students Essay in Hindi

विद्यार्थियों में बढ़ता असंतोष हिंदी निबंध | Increasing Dissatisfaction Among Students Essay in Hindi

विद्यार्थियों में बढ़ता असंतोष ज्वलंत समस्या है जिसका हमारा देश पिछले एक दशक से सामना कर रहा है। विद्यार्थियों में अशांति केवल भारत के लिये ही नहीं अपितु विश्वस्तर पर एक समस्या बन गयी है। भारत में विद्यार्थी असंतोष ने संकट की घंटी बजा दी है। अगर इस पर अभी नियन्त्रण न किया गया तो यह हमारी हस्ती को हिला देगा। विद्यार्थियों में अवषाद एवं विषाद के भाव का वातावरण और कुछ नहीं बल्कि आम लोगों में बढ़ते सामान्य असंतोष को ही प्रतिबिम्बित करता है।

हमारे विद्यार्थियों का हिंसा के क्रियाकलापों एवं हुल्लड़ बाजी में झुकाव के बढ़ने के कारण के विषय में गहन अध्ययन होना चाहिये । हम विद्यार्थियों द्वारा क्रोधोन्माद में की जा रही तोड़-फोड़ एवं आगजनी के विषय में अक्सर सुनते हैं और सुनते हैं कि वहाँ विद्यार्थियों की भीड़ ने पत्थर बाजी की और वहां रोड़ा बाजी । यह सब क्या है? उनके इन कार्यों का परिणाम होता है पुलिस अधिकारियों द्वारा उनपर कठोर कार्यवाही के रूप में गोली चलाना या लाठी चलाना। हम अक्सर विश्वविद्यालयों के बन्द होने, कुलपति के घेराव होने एवं विद्यार्थियों द्वारा अध्यापकों के साथ हाथापाई की खबरें सुनते हैं। यह सब दुःखद परिस्थिति है। हिंसा के इस अतिरेक के पीछे विद्यार्थियों की अनगिनत शिकायतें एवं मांगें हैं । सरकार एवं शैक्षिक अधिकारियों द्वारा विद्यार्थियों के लिये कुछ कर पाने में समर्थ न होने के कारण ही विद्यार्थी दंगे, फसाद, हड़तालें एवं प्रदर्शन करते हैं ।

विद्यार्थी शिकायत करता है कि उनसे बहुत अधिक शिक्षा शुल्क लिया जाता है जिसे देना अभिभावकों के लिये कठिन होता है । छात्र वर्ग पुस्तकालयों में अद्यातन पुस्तकों के अभाव के विषय में भी असंतोष जताता है । कक्षा में अत्यधिक संख्या में छात्र होने के कारण शिक्षक छात्रों की समस्याओं को नहीं समझ पाते। कई बार विद्यालय में योग्य अध्यापकों का अभाव भी परेशानी उत्पन्न करता है। शिक्षा का माध्यम कोई विदेशी भाषा होने पर विषय उनकी समझ से परे हो जाता है। छात्रों में फैलते असंतोष का कारण केवल र्क्सकों की सेना उत्पन्न करने वाली किताबी पढ़ाई नी है क्योंकि हमारे यहां व्यवसायिक शिक्षा की योजनायें बहुत कम हैं। जिस कारण पढ़ने के पश्चात भी विद्यार्थी बेरोजगार घूमते हैं। यह सब ऐसे मुख्य मुद्दे हैं जिनके कारण छात्रवर्ग अपने मुख्य आर्दशों से भटक जाते हैं।

अधिकतर बच्चे अंग्रेजी भाषा में उर्तीण नहीं हो पाते क्योंकि यह एक विदेशी भाषा है। हिन्दी के राष्ट्रीय कवि श्री रामधारी सिंह दिनकर ने एक बार कहा था कि “हम अपने विद्यार्थियों को अंग्रेजी भाषा की सलीब की भेंट चढ़ा रहे हैं।” परिक्षाओं में 60 से 70 प्रतिशत तक अनुर्तीणता अंग्रेजी के कारण होती है। हमें इस राष्ट्रीय महत्व के विषय पर गहनता से विचार विमर्श करना चाहिये। कोई भी निर्णय लेने से पूर्व अधिकारियों को विद्यार्थियों की युक्तियुक्त मांगों को ध्यान में रखना चाहिये। छात्र ही देश की उन्नति के स्तंभ हैं। युवा वर्ग शक्ति का एक आश्चर्य जनक स्रोत है।

अगर इन्हें सही दिशा में प्रेरित किया जाये तो उसके लाभकारी परिणाम हो सकते हैं। अगर यह गलत दिशा में प्रचलित हो जाते हैं तो यह समाज का बहुत नुकसान कर सकते है। भटके हुये छात्रों की हिंसक अभिव्यक्ति का जवाब गोलियां एवं लाठियां नहीं हो सकतीं। इनसे बहुत बुद्धिमता पूर्ण ढंग से निबटना होगा। हमें गुंडो से मुकाबला करने के लिये उनकी भाषा बोलने की आवश्यकता नहीं है। युवा छात्र शक्ति पर ही हमारे राष्ट्र का चतुदिक विकास निर्भर है। विद्यार्थियों की समस्याओं का हल तभी हो सकता है अगर उनकी मानसिकता, आवश्यकताओं एवं समस्याओं को सुलझाने का प्रयास हर स्तर पर हो । छात्रों में असन्तोष हिंसा को जन्म देता है। इसके लिये उनकी सोच को नयी दिशा देने की आवश्यकता है।

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