होली निबंध हिंदी | Essay on Holi in Hindi

Set 1: होली निबंध हिंदी | Essay on Holi in Hindi

होली बसंत ऋतु में मनाई जाती है। इस समय प्रकृति अपनी श्रेष्ठता के शिखर पर होती है। सब जगह रंगों और सुगंधी की छटा होती है। फिर मनुष्य ही क्यों पीछे रहे। वह भी इसमें अपनी सुगंध, गीतों की मिठास और रंगों की रंगीनियां घोल देता है। सारा वातावरण बड़ा मादक और मोहक हो जाता है।

यह एक रंगों, संगीत और मस्ती का त्योहार है। इसमें सभी लोग बड़े उत्साह, उमंग और मस्ती से भाग लेते हैं।होली की कथा प्रहलाद से जुड़ी है। हिरणाक्ष नामक एक दैत्य राजा था। वह बड़ा निर्दयी और घमंडी था। वह अपने आपको ही ईश्वर मानता था। उसका पुत्र प्रह्लाद बड़ा ज्ञानी था। सत्य जानता था। वह ईश्वर का परम भक्त था। अतः हिरणाक्ष प्रह्लाद से नाराज रहता था और उसे जान से मारना चाहता था। बालक प्रह्लाद को मारने के उसने कई प्रयत्न किये लेकिन सब असफल रहे। आखिरकार उसने प्रह्लाद को आग में जलाकर भस्म करने की सोची। लेकिन इसमें भी वह सफल नहीं हुआ। होलिका जल गई और प्रह्लाद का बाल भी बाँका नहीं हुआ। अंत में ईश्वर ने नरहरि का अवतार लेकर दुष्ट हिरणाक्ष का वध कर दिया। इसी याद में रात को होली जलाई जाती है, पूजन किया जाता है और अगले दिन रंगगुलाल से होली खेलते हैं।

होली के दिन सब भेदभाव भूलकर एक हो जाते हैं। साथसाथ गाते हैं, ठंडाई आदि पीते हैं और रंगों से होली खेलते हैं। बड़ेबड़े संगीतमय जुलूस इस दिन निकाले जाते हैं तथा एकदूसरे से गले मिलते हैं। बैरभाव भुलाने, मित्रता स्थापित करने और राष्ट्रीय एकता को और अधिक मजबूत करने के लिए यह एक उत्तम त्योहार है।

Set 2: होली निबंध हिंदी | Essay on Holi in Hindi

होली वसंत ऋतु के फाल्गुन मास में मनाई जाती है। वसंत ऋतु में पृथ्वी की सुन्दरता निराली होती है । रबी की फसल खेतों में कटने के लिए तैयार होती है । इस अवसर पर वसन्तोत्सव के रूप में होली का पर्व मनाया जाता है।

होली से एक दिन पहले ‘होलिका दहन’ होता है । कहते हैं – राजा हिरण्यकश्यपू स्वयं को ईश्वर मानता था परन्तु उसका पुत्र प्रहलाद भगवान विष्णु का भक्त था । हिरण्यकश्यपू ने क्रोध में आ कर कई बार प्रहलाद को मारने का प्रयास किया । परन्तु ईश्वर की कृपा से वह हर बार बच जाता था । हिरण्यकश्यपू की एक बहन थी – होलिका । उसे अग्नि में न जलने का वरदान प्राप्त था । होलिका प्रहलाद को लेकर अग्नि में बैठ गई ताकि प्रहलाद जलकर मर जाए । परन्तु प्रहलाद बच गया और होलिका जलकर राख हो गई।

आज भी लोग अपने घरों से लकड़ियाँ लाकर किसी खुले स्थान में जमा करते हैं और जलाते हैं । यह प्रथा बताती है कि बुराई जलकर खत्म हो जाती है और अच्छाई रह जाती है।

होली के दिन प्रातःकाल से ही लोग एक दूसरे को रंग और पानी से भिगोने लगते हैं । मस्ती में ‘फाग’ गाते चलते हैं। कुछ लोग कीचड़ और पक्के रंगों का प्रयोग करते हैं । इससे त्वचा तथा आँखों को नुकसान पहुँच सकता है।

दोपहर में लोग नहा-धोकर नए कपड़े पहनते हैं । शाम को एकदूसरे के घर जाते हैं । अबीर और गुलाल लगाते हैं । चैत्र में भारत का नया वर्ष शुरू होता है । इसलिए लोग इस दिन वर्षफल देखते हैं । होली के अवसर पर घरों में तरह-तरह के पकवान बनते हैं । लोग प्रेम से एकदूसरे को खिलाते हैं।

होली प्रेम और भाईचारे का पर्व है । इस अवसर पर लोग दुश्मनी भूलकर प्रेम की नई शुरुआत करते हैं । होली का संदेश ही है कि हम अपनी गलतियों को जलाकर राख कर दे और जीवन की नई शुरुआत ।

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