फैशन का भूत पर निबंध

फैशन का भूत पर निबंध

पशन वर्तमान युग का एक अभिन्न अंग बन चुका है। चाहे कॉलेज जाने वाले लड़के-लड़की हों या बाजार जाते स्त्री पुरुष हों, ऑफिस जाती महिलाएँ हों या शाम को मटरगश्ती करने वाले युवक हों सब फैशन की अदाओं के साथ घर से बाहर निकलते हैं। आज के बाजार सौन्दर्य प्रसाधनों से भरे पड़े हैं। आज सौन्दर्य प्रसाधन की दुकान पर जितनी भीड़ देखने को मिलती है इतनी भीड़ किसी अन्य दुकानों पर नहीं होती है।

वर्तमान दौर में लोग सुन्दरता एवं रख-रखाव पर काफी खर्च कर रहे हैं। आज कदम-कदम पर ब्यूटी पार्लर खुल गये हैं। पहले दुल्हन ही सम्पूर्ण शृंगार करती थीं। परन्तु आज की महिलाएँ घर हो या बाहर हर वक्त सजी-संवरी मिलती हैं।

आज का पुरुष वर्ग भी फैशन वर्ग की प्रतियोगिता में पीछे नहीं है क्योंकि पुरुष वर्ग भी नियमित रूप से बाल रैंगवाने लगे हैं। आज पुरुषों के लिए भी विभिन्न प्रकार के सौन्दर्य प्रसाधन बाजार में उपलब्ध हैं।

यहाँ एक महत्त्वपूर्ण सवाल यह उत्पन्न होता है कि फैशन का यह भूत अचानक क्यों हम सभी पर हावी होने लगा है? इनके कई कारण उत्तरदायी हैं जिनमें बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़े-बड़े उद्योगों में सुन्दर युवक-युवतियों को पदोन्नति मिलना तथा सुन्दर दिखने की बढ़ती प्रतिस्पर्धा । टीवी के विज्ञापन, सौन्दर्य प्रतियोगिताओं की बढ़ती संख्या, सौन्दर्य प्रसाधनों की अधिकता तथा देश में धन-समृद्धि का बढ़ना भी इसके प्रमुख कारणों में से एक हैं।

अतः स्पष्ट रूप से यह कहा जा सकता है कि फैशन अथवा शृंगार में कोई बुराई नहीं है, लेकिन उसकी अधिकता बुरी होती है। आज फैशन भूत बनकर युवक-युवतियों के सिर पर नाच रहा है। लोग चरित्र पर नहीं, फैशन पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। युवकों के सुशील चरित्र का नहीं, उनकी स्मार्टनेस को तथा लड़कियों के शील को नहीं बल्कि उनके सौन्दर्य को अधिक महत्त्व प्रदान किया जा रहा है।

इससे शक्ति नहीं, दिखावा बढ़ता है। अतः फैशन को जीवन में उचित स्थान मिलना चाहिए, प्रमख नहीं। गांधी के सादगी वाले देश में फैशन का सीमित स्थान ही हो सकता है। ऊपरी दिखावे से कहीं अधिक सुन्दर व्यक्ति का मन होता है जिसे सशक्त बनाने में ज्यादा से ज्यादा मेहनत करना चाहिए।

और पढ़ें : मेरा गाँव निबंध हिंदी

Leave a Comment